जहा कोरोना के देहशत से दुनिया कापी हुई है, वही दुसरी ओर इंसानियत के दुतो ने अपना परचम लहराया है। मेरे पिताजी जिन्होंने गरीबों की मदद करने के लिए पैसे उधार लिए क्यूंकि कल रात मेरे पिताजी ने एक परिवार को रोते देखा , भूख से बिलखते देखा और खबर पोहचाई विजय फिटनेस एंड हैल्थ सेंटर में की था बहुत सारे परिवारों को भूखा सोना पड़ रहा है। जिम के सदस्य हैरानी मैं थे क्यूंकि पहले से ही ८० परिवारों का खाना बन रहा था लेकिन उससे ज़्यादा खाना बच ही नहीं पा रहा था। तब मेरे पिताजी ने उधार लेकर राशन भरवाया, और उन लोगो के साथ साथ उनके आजू बाजू के लोगो को भी दुंडकर खाना भिजवाया। पैसे उधार इसलिए लेने पड़े क्यूंकि जामनगर के एटीएम में पैसा नहीं डाला जा रहा है, इसके पीछे भी बड़ा कारण है क्यूंकि कोरोना छुने से फैलता है अगर कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है तो दूसरे व्यक्तियों को भी होने की संभावना बढ़ सकती है।
मेरे पिताजी ने खाने के साथ , सब्ज़ियों के पैकेट्स, राशन के पैकेट्स भी उपलब्ध कराए। आज सुबह ही हमारे सारे पुलिस कर्मियों को चाय के साथ बिस्किट दिए। हांड्सानिटाइजर की पूरी एक पेटी, साथ ही जिम पुराने कपड़ों के मास्क हाथों से बनाकर उनको भेट दिया गया। मास्क तो गरीबों में भी दिया गया, और पूरे तरीके से बताया और समझाया गया कि इस ख़तरनाक महामारी से कैसे बचा जाए।
मैंने बहुत कुछ सीखा या कह सकते है आप की इस महामारी ने बहुत कुछ सीखा दिया। शुक्रिया पापा आपने और आपके दोस्तो ने मिलकर एक बदलाव की लहर तो शुरू की।
Written by – TOMAR ARUSHI
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