मुझे भी जीना है !!
जी हां! मुझे भी जीना है। ये शब्द है एक पागल इंसान के जिसने अपने परिवार को खो दिया। इतने बड़े महामारी कोविड-19 की वजह से सब अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा में जुटे हुए है। क्या हम भूल गए उन बेजुबानों को और उनको जिनकी रोज़ी रोटी दैनिक कार्यों से ही चलती है? ऐसा नहीं हो सकता, कभी नहीं। आइए दोस्तो ले चालू आपको लोकडाउन के तीसरे दिन के दोपहर २ बजे। जब लोग घरों में खाना खाकर, आराम फरमा रहे थे तब एक पागल औरत जो करीबन ४ साल से यूहीं रोड़ों पर घूम घूम कर खाना मांगती थी, अब उसको खाना देने वाला भी कोई नहीं रहा। यह सन्नाटी सड़के, यह सुनसान गालियां कोरोना का डर ब्या करती है।
वो औरत सबके घरों के दरवाजे खटकाती मगर कोई ना सुनता उसकी लेकिन भगवान ने सुनी उसकी- वो कहते है ना “जिसका कोई नहीं, उसके भगवान होते है।'' उस औरत की मदद के लिए आगे आए हमारे एयर फ़ोर्स जामनगर के जवान जिन्होंने उस औरत को विधवा आश्रम को सौंप दिया। और उस विधवा आश्रम को दो वाक़्त का खाना हमारे कॉलोनी में जिम के तरफ से जाता है क्यूंकि वो आश्रम एक एनजीओ चलाती है।
दोस्तो यह ज़िन्दगी बहुत छोटी है इसलिए लोगो की मदद करके जो सुकून मिलता है, वो खुशी कभी पैसा नहीं खरीद सकता है। भगवान भेजे फरिश्तों का इंतजार ना करो, खुद ही अल्ला का फरिश्ता बनकर जरूरतमंदो की मदद करो।
WRITTEN BY- TOMAR ARUSHI
A VERY THANKYOU TO ALL THE MEMBERS OF VIJAY HEALTH AND FITNESS CENTER AND THE TEAM OF AIR FORCE.
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